



गुरसराय में तालाब के राम जानकी मंदिर पर श्री राम महायज्ञ एवं संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का सुदामा चरित्र की कथा के साथ समापन हो गया।
व्यास पंडित भगवत नारायण समाधिया ने कहा कि विपत्ति में साथ देने वाला है सच्चा मित्र होता है। भगवान ने सुदामा को वही वैभव प्रदान किया जैसा द्वारिका में था। सुदामा जी परम संतोषी ब्राम्हण थे। जो ब्राम्हण संतोषी होता है वही धनवान होता है। कलयुग में हरी नाम संकीर्तन ही जीव की मुक्ति का सबसे सरल उपाय है। भगवान की प्राप्ति के भक्ति एवं ज्ञान मार्ग दो साधन है।जिसमे भक्ति मार्ग सबसे सुलभ मार्ग है।
उन्होंने कहा शिक्षा के अनेक गुरु हो सकते है, लेकिन दीक्षा गुरु एक ही होना चाहिए।
संगीत में कथा में नाल पर देवेंद्र सिंह घोष, ऑर्गन पर प्रमोद गोस्वामी एवं तबले पर धर्मेंद्र कौशिक ने संगत की।
कथा की आरती परीक्षित कन्हैया लाल कुशवाहा ने की।
इस अवसर पर रमेश मौर्य, देवेन्द्र दिव्वन यादव, पंकज कुशवाहा, मुन्नालाल कुशवाहा, जगमोहन समेले, लक्ष्मीनारायण घोष, ओमप्रकाश कौशिक, हरिओम व्यास, अतरसिंह, शिवनंदन चतुर्वेदी, गोविंद तिवारी, महेश चंद्र कोटरा, कौशलेश मिश्रा आदि उपस्थित रहे।