



रामायण पाठ का आनंद भगवान की कृपा से ही मिलता है सांसारिक सुख पारमार्थिक सुख की बराबरी नहीं कर सकता जिस जगह रामायण पाठ होता है वह जगह तीर्थ बन जाती है आप अपने अपने घरों में भी रामायण का नवाह अथवा मासिक पाठ करें कम से कम नौ दोहों का पाठ अवश्य प्रतिदिन करें नवरात्र के समय नवाह पाठ करें। इस संबंध में स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज द्वारा लिखित ज्ञान गंगा रुपी पुस्तकों का विजय ब्रह्मचर्य जी महाराज ने आज गुरसरांय में उत्तर प्रदेश सरकार से वरिष्ठ पत्रकार कुंवर रामकुमार सिंह के निवास पर बुद्धजीवी और पत्रकारों जन-जन को पुस्तकें भेंट कर सभी को अपने जीवन को धन्य बनाने के लिए प्रेरित किया। विजय ब्रह्मचर्य जी ने एक उदाहरण देते हुए सत्संग में बताया कि जब तक रुपए प्यारे लगते हैं तब तक साधन शुरु नहीं हुआ। साधन शुरु होने की पहचान है कि परमात्मा के शिवाय और में प्यार पैदा नहीं होगा। उन्होंने आगे सत्संग करते हुए गीता पढ़ने के लाभ धर्म क्या है भगवान क्या हैं इस बारे में विस्तार से बताया भगवान के रहने के पांच स्थान और श्रीमद्भागवत के पात्रों और श्री रामचंद्र जी के जीवन पर विस्तार से बताया। इस मौके पर महाराज जी के साथ हरपालपुर से आए दीपक अग्रवाल के साथ नगर से मनोरमा सिंह,हरिशचन्द्र नायक,आयुष त्रिपाठी,कौशल किशोर,शौकीन खान,सुरेश सोनी सरसैडा़ सहित बड़ी संख्या में बुद्धजीवी लोग मौजूद रहे।