
गुरसरांय(झांसी)। बेतवा प्रखंड झांसी के तहत बेतवा उपखंड तृतीय गुरसरांय और मुख्य कैनाल गुरसरांय उधर बड़वार बांध से बेतवा विभाग से निकली नहर मे कई रजवाहा सहित उक्त दोनों नहर सिस्टम में यहाँ तैनात सहायक अभियंता से लेकर अवर अभियंता अपने-अपने कार्य क्षेत्र में नहीं रहते हैं और सरकार द्वारा नहरों की सफाई हेतु पिछले सत्र व चालू सत्र में सफ़ाई हेतु आये बजट का मौके पर प्रदर्शन कर भारी हेराफेरी की जा रही हैं। और फर्जीवाड़ा भुगतान कर सरकारी खजाने को विभागीय अभियंताओं व ठेकेदारों की मिलीभगत से बंदरवाट हो रहा है इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है क्योंकि जब जरूरत पड़ती है तब पानी नहीं मिलता उधर रख रखाव सही न होने के चलते कई बार नहर टूटने से किसानों की बर्बादी होती है और विभाग के अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता तक सब के सब चुप्पी साधे हुए हैं जिससे प्रदेश सरकार की छवि धूमिल भी हो रही है क्षेत्र के किसानों से लेकर जागरूक नागरिकों ने इस संबंध में जल्द कार्यवाही की मांग की है। बताते चले नहरों की सफाई को लेकर जुड़े रजवाहों और माइनरों की सफाई में खानापूर्ति हो रही है। सरकार की ओर से करोड़ों रुपये खर्च करके किसानों को सिंचाई के लिए नहर का पानी उपलब्ध कराने के लिए नहर व उससे जुड़े रजवाहों और माइनरों की सिल्ट सफाई का कार्य कराया जा रहा है। यह सिल्ट सफाई धरातल पर कम कागजों में ज्यादा हो रही है नहर व उससे जुड़े बंबों रजवाहों माइनरों में विभागीय तौर पर जेसीबी मशीन लगाकर सिल्ट खुदाई सफाई का काम चल रहा है। इन बंबों,रजवाहों में कहीं-कहीं घुटनों तक तो कहीं कमर के बराबर घास व सिल्ट जमा है। खोदकर सफाई करने के साथ ही सिल्ट बाहर फेंकी जाना चाहिए।लेकिन सिल्ट सफाई खुदाई के नाम पर सिर्फ मशीन को इन बंबों व रजवाहों में हल्की सिल्ट खुदाई की गई है जो न के बराबर है। इससे टेल क्षेत्र के किसानों तक पानी पहुंचने के लिए और भी समस्या रहेगी। यह स्थिति तब है जब नहरों की सिल्ट सफाई के मामले में प्रदेश सरकार गंभीर है ग्राम के किसानों का कहना है कि विभागीय तौर पर सिल्ट सफाई खुदाई कार्य बदतर है। नहरों की सफाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता हो रही है। सही ढंग से कीचड़,झाड़ियां बाहर नहीं निकाली जा रही हैं। जिस कारण टेल तक पानी पहुंचने की उम्मीद न के बराबर है। इस कारण किसान भी चिंतित हैं।पूर्व में जहां नहरों की सफाई मजदूर फावड़े से करते थे वहीं अब जेसीबी से साफ-सफाई कराने का प्रयास चल रहा है।इस कारण नहरों का पानी खेतों में पहुंचाना किसानों के लिए काफी कठिन हो जाएगा।साफ-सफाई के नाम पर जेसीबी से सिल्ट निकालकर नहर की पट्टी पर गिरायी जा रही है। इसकी ना तो घास साफ की गयी न ही झाड़-झंखाड़ हटाए गए। सफाई के नाम पर केवल कोलम पूरा किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि नहर से जलकुंभी व कचड़ा निकालने के नाम पर हो रही औपचारिकता के चलते उनके समक्ष बहुत समस्या खड़ी होगी। इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदारी से जांच व कार्रवाई करनी चाहिए। उधर बेतवा उपखंड तृतीय गुरसरांय पूरे नहर सिस्टम से लेकर बड़वार नहर सिस्टम के जब कभी ठेकेदार से लेकर अन्य विभागीय लोगों से नहरों की सफाई का वर्क ऑर्डर व एस्टीमेट की और अधिकृत ठेकेदार का नाम आदि पूछने पर गोलमाल मीडिया को उत्तर देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते है लग रहा है कि विभागीय अधिकारी से लेकर शासन स्तर से भी कही न कही मॉनिटरिंग से लेकर व्यवस्था बनाए जाने के लिए नियमों में अनदेखी की जा रही है।





