



झाँसी जिले के ग्राम बरमपुरा अहिरवार समाज के लोगो ने समाज में प्रचलित मृत्यु भोज की परंपरा को बंद करने के लिए गुरुवार दोपहर 12 बजे गाँव के प्राचीन शिव मंदिर पर बैठक की जिसकी अध्यक्षता ग्राम प्रधान बरमपुरा राकेश माते ने की। उन्होंने कहा कि मृत्यु भोज जैसी परंपराएं आर्थिक रूप से कमजोर अहिरवार समाज पर भारी बोझ डालती हैं।
उन्होंने बताया कि समाज के अधिकतर परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं। जिसके कारण उनके बच्चें शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में मृत्यु भोज पर भारी खर्च करना समाज के लिए एक बड़ा संकट बन जाता है। मृत्यु भोज की परंपरा न केवल आर्थिक भार डालती है। कई परिवार इस भोज के लिए कर्ज लेते हैं और फिर वर्षों तक उसे चुकाने में संघर्ष करते हैं।
बैठक में लाला राम पुर्व प्रधान, अच्छेलाल अघ्यापक ने भी शिरकत की। बैठक में सभी ने एकमत होकर निर्णय लिया कि भविष्य में मृत्यु भोज की परंपरा को बंद किया जाएगा और लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाएगा। अंत में अहिरवार समाज ने मृत्यु भोज प्रथा को बंद करने का निर्णय लिया। मृत्यु भोज की जगह छोटे रूप में कन्या भोज कराया जाएगा। इसके लिए समाज में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
वही ग्राम प्रधान बरमपुरा राकेश माते द्वारा बताया गया कि वह मृत्यु भोज को बंद करने के लिए विगत कई महीनो से प्रयास कर रहे थे आज उनका प्रयास सफल हुआ और समाज के सभी लोगों द्वारा उनकी बात अपनाई गई और मृत्यु भोज न करने का निर्णय लिया गया जिससे वह समाज का धन्यवाद करते हैं। व अन्य गांव में भी अपने समाज के लोगों को संदेश देना चाहते हैं कि मृत्यु भोज का बहिष्कार करें। इस मौके पर राकेश माते ग्राम प्रधान, लाला राम पूर्व प्रधान, अच्छे लाल अध्यापक ,मुन्नालाल, घमंडी मुखिया, बालादीन, घनाराम, चंद्रशेखर, ग्यासी लाल, राधा प्रसाद , अमर सिंह ,स्वामी प्रसाद ,हीरालाल, बिहारी लाल, परशुराम ,पुष्पेंद्र कुमार, मोहन, दीपू, हकीम ,ठाकुरदास ,झल्ली राम ,शिवदयाल, क्षेत्रपाल ,केशव प्रसाद, छक्की बाबूजी, शिरोमण, महीपत, मुकेश, कैलाश, नेत्र सिंह ,राजेंद्र डॉक्टर, भागीरथ, भूपेंद्र राज के साथ कई लोग मौके पर उपस्थित रहे।